उजाला
अँधेरे में जो कदम बढ़ते हैं
वे उजाले की आस्था से
भरपूर होते हैं
अँधेरे का मतलब
उनके लिए बाधा होता है
और उजाले का
अर्थ होता है संघर्ष
इसीलिये वे सहर्ष
हर चुनौती को स्वीकार लेते हैं
और अँधेरे के पृष्ठ पर
ज्योति के चमचमाते
हस्ताक्षर कर देते हैं
उजाले उनके हाथ में आकर
एक शस्त्र बन जाता है
जो अँधेरे के खिलाफ
चाकू की तरह तन जाता है
हथेली पर रखे आंवले
या किताब के
खुले पृष्ठ की तरह
उनके सामने
सब कुछ इतना स्पष्ट होता है
की गंतव्य स्वयं
उनके चरणों को धोता है
ऐसे लोग खुद
एक दिन मशाल बन जाते हैं !
फिर लोग उनके रोशनी में
अपना रास्ता बनाते हैं!
मोहन आलोक - एक दिव्य काव्य-पुरुष/ डॉ. नीरज दइया
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मोहन आलोक को इस संसार से गए दो साल से अधिक समय हो गया है किंतु अब भी
उनके जाने का दुख मुझ में इस तरह समाया है कि उन्हें याद करते हुए मैं विचलित
हो जा...
1 year ago
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