लोग उम्मीद करते हैं
लोग उम्मीद करते हैं
कि अब की बार
सूखा नहीं पड़ेगा
गाँव के पास वाला बांध
पक्का बन जायेगा
जिससे बाढ़ रुक जाएगी;
फसलें अच्छी खड़ी हैं
शायद इस बार तो
पिछली उधर चुक जाएगी!
लोग उम्मीद करते हैं
अब की बार गाँव में
गणगौर, तीज और दीवाली
प्रेम से मनाई जाएगी
कहीं कोई बलवा नहीं होगा
होली सांझी जलेगी
सरपंच का चुनाव
शांति से हो जायेगा
कहीं गोली नहीं चलेगी!
लोग उम्मीद करते हैं
कि इस बार जिसे वोट दिया है
वह ईमानदार है
गाँव की तकलीफें पूछने
वह फिर आएगा
सड़कें पक्की हो जाएँगी
नहरों में पानी चलेगा!
हर घर में दोनों वक्त
चूल्हा जलेगा!
लोग उम्मीद करते हैं
यहाँ भी एक अस्पताल होगा
जिसमें डॉक्टर होंगे
अधिकारियों का आचरण शुद्ध होगा!
प्रकृति की गोद में बसे
हर गाँव का वातावरण शुद्ध होगा!
लोग उम्मीद करते हैं
लोग वर्षों से
उम्मीदों के सहारे जी रहे हैं;
और रोजमर्रा की जिन्दगी को
जहर की तरह पी रहे हैं!
bhai badal ji,
ReplyDeletenamskar!
blogda to bana baithya pan likhan to hal ek e aangli syun han.dekho aanglyan ro jako jamano aayo hai!khair!thare ramdhan kadhe kanto ar mhare teengri ankita .dheere dheere sikhan la e !
aapro blog sahib to jordar hai.aapri santri kavitavan syun or nikhargyo.badhayje!
bagat milyan kadei mharle blogde khani rukh karya dekhan!jeev soro hosi!
great!!!!! its really very nice poem showing dreams of common man. words create a live image of unfulfilled dreams. its the greatness of a poet that he or she is capable enough to lead a reader to desired end which should [ for others must] be truth and constructive.
ReplyDelete